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जनजाति - गवरी मेवाड़ में भील जनजाति द्वारा किया जाने वाला प्रसिद्ध लोक नृत्य है जिसे 'राई' नृत्य के नाम से भी जाना जाता है |
समय - सावन भादो | रक्षाबंधन के बाद से सवा महीने तक
वाद्ययंत्र - मांदल और थाली के साथ केवल पुरुषों के द्वारा
निम्न पत्र होते हैं :-
मनुष्य पात्र भूडिया राई कुटकड़िया कंजर-कंजरी मीणा बणजारा-बणजारी दाणी नट खेतूडी शंकरिया कालबेलिया कान-गूजरी भोपा फत्ता-फत्ती
यह पर्व आदिवासी जाती पर पौराणिक तथा सामाजिक प्रभाव की अभिव्यक्ति है। गवरी में पुरुष पात्र होते है। इसके खेलों में गणपति काना-गुजरी, जोगी, लाखा बणजारा इत्यादि के खेल होते है।